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जय माधव मदन मु्रारी - वैष्णव भजन

जय माधव मदन मु्रारी
राधेश्याम श्यामा श्याम
जय केशव कलिंमल हारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

सुन्दर कुण्डल मधुर विशाला
गले सोहे बैजन्ती माला
याछति की बलिहारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

कबहुँ लुट — लुट दधि खायो,
कबहुँ मधुवन रास—रचायो
नृत्यति विपिन विहारी,
राधेश्याम श्यामा श्याम

ग्वाल बाल सङ्ग धेनु चराई
वन वन भ्रमत फिरे यदुराई
काँधे काँवर कारी,
राधेश्याम श्यामा श्याम

चुरा — चुरा नवनीत जो खाबो,
व्रज वनितन पैनाम घरायो
माखन चोर मुरारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

एक दिन मान इन्द्रको मारो
न्ख उपर गोवर्धन धारो
नाम पडी गिरधारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

दुर्योधन को भोग न खायो,
रुखा साग विदुर घर खायो
ऐसे प्रेम पुजारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

करुणा कर द्रोपदी पुकारी
पट में लिपट गयी बनवारी
निरख रहे नर नारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

अर्जुन के रथ हाँकन बारे
गीता के उपदेश तुम्हारे
चक्र सुदर्शन धारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

भक्त अभक्त सभी तुम तारे
भत्ती हीन हम ठाढे द्धारे
लीजो खवर हमारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

तुम बीन और कहाँ जाहुँ
औरन से कहते सँकुचाऊँ
सुनो दीन दुःख हारी
राधेश्याम श्यामा श्याम

अब तो सुनो टेर तुम मेरी
शरणागत अब करो न देरी
रटना लगी तुम्हारी
राधेश्याम श्यामा श्याम
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